वर्ष 2013 दीपिका का था. लेकिन 2014 में ‘हैप्पी न्यू ईयर’को छोड़ दें,तो दीपिका पादुकोण कुछ खास कमाल नहीं कर पायी.पर उन्हें उम्मीद है कि 2015 उनका होगा.इस साल ‘पीकू’,‘बाजीराव मस्तानी’ और‘तमाशा’जैसी उनकी फिल्में रिलीज होने वाली हैं.फिल्म‘पीकू’में उनके साथ अमिताभ बच्चन और इरफान खान हैं.तो ‘तमाशा’में रणबीर कपूर हैं.जबकि संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म‘‘बाजीराव मस्तानी’’में रणवीर सिंह हैं.2015 की शुरूआत में दीपिका पादुकोण ने कुछ समय के लिए डिप्रेशन में जाने की बात उजागर कर हंगामा मचाया.तो दूसरी तरफ वह रणवीर सिंह के साथ अपने संबंधों को लेकर भी चर्चा में हैं.हाल ही में रणवीर सिंह अस्पताल में भर्ती थे,उस वक्त अस्पताल में भी रणवीर सिंह की देखभाल करने की बातें सामने आयीं.
अपने अब तक के अपने कैरियर को किस तरह से देखती हैं?
मेरी यात्रा काफी फलदायक रही.मेरे कैरियर की शुरूआत काफी फैंटास्टिक हुई थी.मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि किसी भी गैर फिल्मी परिवार से आने वाली नई लड़की को इस तरह का ब्रेक मिला हो.उसके बाद मेरी कुछ फिल्में बाक्स आफिस पर ठीक ठाक नहीं चली.मैंने उसका उपयोग अपनी गलतियों का समझकर उसे सुधारने में किया.कहाॅं मैं अपने आपको इम्प्रूव कर सकती हूॅं,वह सब किया.मेरे कैरियर का वह‘लो फेज’मुझे खुद को बेहतर बनाने के काम आया.मैंने कभी भी असफलता का गम नही मनाया.मैंने कभी यह नहीं कहा कि यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है.मैंने पेंशस रखते हुए उस‘फेज’से उभरकर खुद को सफल बनाने का प्रयास किया.तो मेरे कैरियर में भी उतार चढ़ाव रहा.‘काकटेल’ से मेरे कैरियर को नया जीवन मिला.पर मैंने कभी हार नहीं मानी.मैं कभी निराश नहीं हुई.मैने अपनी गलती को पहचाना और उसे सुधारा.हर इंसान अपनी गलतियों, उतार चढ़ाव से सीखता है |
कभी ऐसा हुआ होगा,जब आपको रिजेक्ट किया गया हो?
मेरा मानना है कि जो कुछ होता है,अच्छे के लिए ही होता है.एक दो फिल्मों ऐसी रही हैं,जिनमें मैं काम करना चाहती थी,लेकिन उन फिल्मों में मुझे नहीं लिया गया.तब कुछ अजीब सा लगा था.लेकिन जब वह फिल्म रिलीज हुई,तो उसका परिणाम व उस फिल्म ेेको देखकर मैने सोचा कि अच्छा हुआ कि मुझे इस फिल्म में नहीं लिया गया था.अंततः सब कुछ अच्छे के लिए ही होता है।
फिल्म‘‘पीकू’’के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?
यह फिल्म एक पिता और उनकी बेटी के रिश्तों की दास्तान हैं.जिसमें मैंने पीकू का किरदार निभाया है.पीकू के पिता के किरदार में अमिताभ बच्चन हैं.दिल्ली निवासी पीकू पेशे से आर्कीटेक्ट है.दिल्ली में रहती है.वह सशक्त मगर एक साधारण लड़की है,जो कि अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना पसंद करती है.वह अपने पारिवारिक मूल्यों कोे भी लेकर चलती है.उसे अपने पिता से बहुत लगाव है.उसके पिता रिटायर होने के बाद इस बात का अहसास करते हैं कि उन्हें कई बिमारियों ने घेर रखा है. तब वह अपने पिता की सेवा भी करती है और उनकी बिमारियों को भी समझने की कोशिश करती है।
तो क्या पीकू के किरदार को निभाने के लिए कोई खास तैयारी करनी पड़ी?
उपरी सतह पर तो यह बहुत ही ज्यादा इमोशनल किरदार है.इमोशंस के लिए तैयारी करने की जरुरत नहीं पड़ी.निजी जिंदगी में मैं भी बहुत इमोशनल इंसान हूं.मगर इस किरदार में इमोशन के साथ साथ काफी गहरायी व संजीदगी भी है. इसलिए इस किरदार के अनुरूप खुद को तैयार करना पड़ा.मैंने इस किरदार को निभाने के लिए तमाम मेडिकल की किताबें भी पढ़ी.कुछ बिमारियो और उन बिमारी से जुड़ी सायकोलाॅजी को भी समझने की कोशिश की.फिल्म‘‘पीकू’’मेरे लिए हमेशा खास रहेगी.क्योंकि यह फिल्म मेरे कैरियर की पहली ऐसी फिल्म है,जिसने मुझे एक बेहतरीन ड्राइवर बना दिया.मैं बहुत कम ड्राइविंग करती हूं.पर इस फिल्म के लिए मैंने हाईवे पर भी कार चलायी है।
फिल्म‘‘पीकू’तो पिता और बेटी के रिष्तों की फिल्म है.क्या कभी आपने अपने परिवार वालों से कोई बात छिपाई, जिसके लिए बाद में आपने उनसे माफी माॅंगी हो?
यदि हम सोचते हैं कि हम अपने माता पिता से कुछ भी छिपा लेते हैं,तो हम गलत सोचते हैं.हम सभी के माता पिता को हमारी हर सांस के बारे में पता होता हैं.मैं तो अपने माता पिता से दूर मुंबई में ही ज्यादा रहती हूं,पर उन्हें पता रहता है कि मेरी जिंदगी में क्या चल रहा है. आपसी विश्वास,प्यार और आदर ही किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाता है.मैं उनके इस फैसले का सम्मान करती हूं कि उन्होंने मुझे घर से इतनी दूर अकेले रहने की इजाजत दी है.मेरी कोषिष रहती है कि मैं अपने किसी भी आचरण से उनके विश्वास को ठेस न पहुचने दूं. यह सिर्फ आपसी विश्वास पर ही हो सकता है।
आपका अपने माता पिता के साथ किस तरह का रिश्ता है?
एक दोस्त जैसा.मेरी राय में हर इंसान को किसी भी रिष्ते को ग्रांटेड मानकर नहीं चलना चाहिए.माता पिता को लेकर मन में एक डर का बना रहना जरुरी है.मगर इतना डर नही होना चाहिए कि आपको अपने माता पिता से कुछ भी छिपाने की जरुरत पड़े.मैंने भी एक सीमा रेखा बना रखी है,जिसे मैं कभी पार नहीं करती.मेरा माता व पिता दोनों के साथ एक ही जैसा रिश्ता है.मेरे पिताजी स्पोर्ट्समैन होने के साथ साथ काफी अनुशासित इंसान हैं।
संजय लीला भंसाली के साथ दूसरी फिल्म‘‘बाजीराव मस्तानी’’ करने के क्या अनुभव हैं?
मुझे मजा आ रहा है.फिल्म ‘रामलीला..’के दौरान संजय लीला भंसाली से मेरी अच्छी ट्यनिंग हो गयी थी.हम दोनो एक दूसरे को काफी अच्छे ढंग से समझते हैं.इसलिए इस बार उनके साथ काम करना ज्यादा आनंद दायक है.मैंने जिस टीम के साथ ‘‘गोलियों की रासलीला….रामलीला’’की थी,उसी टीम के साथ मैं फिल्म‘बाजीराव मस्तानी’कर रही हूं.इस फिल्म में मेरे अलावा रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा भी हैं.पर मेरा जो किरदार है,वह कुछ ज्यादा ही सशक्त है.हमने इस फिल्म के लिए राजस्थान जाकर शूटिंग की।
सुना है कि इस फिल्म में एक गाना आप व प्रियंका चोपड़ा दोेनो पर फिल्माया जाना था.पर अंततः आपने यह गाना प्रियंका से छीन लिया.?
ऐसा कुछ नहीं है,जैसा आप समझ रही हैं.यह सच है कि पहले इस फिल्म का एक गाना मुझ पर और प्रियंका चोपड़ा दोनों पर फिल्माया जाना था.लेकिन फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली को अहसास हुआ कि यदि यह गाना सिर्फ मुझ पर फिल्माया जाए, तो ज्यादा अच्छा होगा.इस गाने के निर्देशक पं.बिरजू महाराज को भी यही बात ठीक लगी.उसके बाद पं.बिरजू महाराज ने मुझे कत्थक डांस के साथ साथ इस गाने के लिए आवश्यक ट्रेनिंग दी.यह अवधी व बृजवासी ठुमरी गीत है,जिसके बोल हैं -‘‘बलमा रे चुनरीयां मैको लाल…’’इस गाने में मैंने लाल रंग की पोशाक पहनी हैं.गाने में मुझे चुनरी ओढ़नी पड़ी है.घूंघट काढ़ना पड़ा है.पंडित बिरजू महाराज ने जिस बेहतरीन तरीके से मुझसे काम करवाया है,वह तो मैं सोच भी नही सकती थी।
फिल्म‘‘बाजीराव मस्तानी’’के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?
मैंने इस फिल्म में मस्तानी का किरदार निभाया है,जो कि डांसर है. इससे अधिक अभी मैं इस फिल्म को लेकर कुछ कहना नहीं चाहती।
फिल्म‘‘तमाशा’’को लेकर क्या कहना चाहेंगी?
इम्तियाज अली निर्देशित फिल्म ‘‘तमाशा’’ पूरी तरह से रोमांटिक ड्रामा वाली फिल्म है.जिसमें मैं तारा माहेश्वरी और रणबीर कपूर, वेद साहनी के किरदार को निभा रहे हैं. यह उन लोगो की कहानी है,जो कि सामाजिक मूल्यों व सामाजिक माॅंग के अनुरूप जिंदगी जीते हुए खुद को खो बैठते हैं.इस फिल्म की शूटिंग फ्रांस में की गयी है.इससे अधिक अभी से इस फिल्म को लेकर बताना ठीक नहीं होगा।
इन दिनों कई अभिनेत्रियाॅं फिल्म निर्माता बनकर नए आकाश को छूने की कोशिश कर रही है.आपने कुछ सोचा है?
कई लोग मुझसे कहते हैं कि मैं एक बेहतरीन निर्माता साबित हो सकती हूं मगर मुझे लगता है कि मैं गणित व बिजनेस में बहुत कमजोर हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं सफल बिजनेस ओमन बन सकती हूं. मुझे निर्देशक के रूप में काम करना पसंद है.एक बार फिल्म ‘पीकू’के सेट पर मेरे सीन की शूटिंग समय से पहले ही खत्म हो गयी.वहां काफी भीड़ मौजूद थी.तब मैंने सहायक निर्देशक के रूप में काम करते हुए वहां मौजूद लोगों को संभालने का काम किया था।